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किसी भी समाज की रीढ़ उस समाज के युवा होते हैं । युवा..... जिन पर राष्ट्र के विकास और उत्थान का उत्तरदायित्व है । युवा...जिनके कांधे देश का भार लेकर चलते हैं । युवा.....जो भविष्य का सपना है और वर्तमान की मज़बूत कड़ी भी । नशे का सबसे अधिक प्रभाव इसी युवा पर पड़ा है और इसका ख़ामियाज़ा पूरा समाज, राष्ट्र और मानवता भुगत रही है । नशा का कैंसर तीव्रता से आज युवाओं को अपने पाश में बांध रही है । इससे पारंपरिक सामाजिक ढ़ांचा भी तहस-नहस होने के कगार पर है । उड़ता पंजाब ही नहीं .......देश के हर राज्य इस नशीली कैंसर की आंधी में उड़ रहा है । यदि युवा ही लड़खड़ाने लगा तो देश को दिशा देने की जिम्मेवारी किसकी होगी ? शरीर की रीढ़ ही हमें स्थाईत्व और शक्ति प्रदान करती है । समाज के लिए वो रीढ़ युवा ही है । ऐसे में रीढ़ का ये कैंसर हमारे सामाजिक तानेबाने को नष्ट करने पर आतुर है ।
हिमाचल को शांतप्रिय, देवभूमि कहा जाता है । इसकी शांति भी अब नशे के दंश से अछूती नहीं रही है । पड़ोसी राज्यों से बहती नशीली हवाओं ने यहां के वातावरण को भी ज़हरीला बना दिया है । इसके भयानक दुष्परिणाम भी सामने आ ही रहे हैं । एक सर्वे के अनुसार हिमाचल में नशे को लेकर स्थितियां बद्तर होती जा रही है । तीन ज़िलों में करवाए गए इस सर्वे में भी चैंकाने वाले आंकड़े सामने आए है । नेषनल फेमिली हैल्थ सर्वे (2016-2017) के अनुसार
हिमाचल को सुन्न करती जा रही नशे की लत ने अपने अनेक रूप दिखाए हैं । समय के साथ-साथ नशे के प्रकार भी बदलते रहते हैं और युवा इसे अपना सामाजिक स्टेटस मानने लगे हैं । हाथ में सिगरेट का कष, गुटका, खैनी आदि को जीवन का हिस्सा बना चुके युवा अपने विनाष की नींव रख चुकें हैं । नशे के ये प्रकार हैं: शराब सिगरेट, बीड़ी आदि गुटका खैनी आदि तंबाकु के कई प्रकार अफीम गांजा हेरोईन चिट्टा अफीम बूट पालिश, कफ सिरप, बाम एवं अन्य खतरनाक उत्पाद आज प्रचलन में हैं ।
बाहरी राज्यों से हिमाचल में भारी नशे की खेप अलग-अलग तरीकों से पहंुचती है और इसकी आपूर्ति स्कूल के बच्चों और युवाओं तक यहां के नशा माफिया के लोग आसानी से करते हैं । यह बेहद दुःखद है कि इस प्रक्रिया को चलाने के तौर-तरीक़े स्कूलों के विद्यार्थियों से आरम्भ होते हैं और धीरे-धीरे प्रारंभिक स्वाद को लत में बदला जाता है । एक इंसान की पहचान उसकी संगत से ही होती है ....इसके चलते ही एक नशेड़ी विद्यार्थी अपने दोस्त, संगी साथी को भी इसमें शामिल करने लगता है । ऐसा करते-करते स्कूली बच्चे अपने संभलते पैरों में नशे की बेड़ियां बांध लड़खड़ाने लगते हैं । गांव में स्कूलों के बच्चों को स्थानीय माफिया के लोग ये लत लगाते हैं । एक कष या एक पैग के साथ हुई इस विनाश की यात्रा फिर आहिस्ता-आहिस्ता दर्दनाक अंत के समीप आ जाती है । हमने ऐसे बहुत बच्चों से बात की जिन्होंने माना कि हमें नशे के लिए उकसाया जाता रहा है । जो इसकी गिरफ्त में आ गए वो फिर समाज, परिवार और दोस्तों के लिए अभिषाप से कम नहीं होते । क्योंकि फिर वो व्यक्ति नहीं बोलता...बोलता है उसके भीतर का राक्षसी नशा ।
हम कैसे भूल सकते हैं कि जितनी भी कुरीतियां या जघन्य अपराध सामने घटित हो रहे हैं .....उनका मूल यही नशा है । दिल्ली का गुड़िया कांड हो या कोटखाई का मासूम के साथ जघन्यता की हदें पार करना, शिमला के मासूम युग मर्डर की भयावकता हो या बलात्कार की अन्य बढ़ती घटनाऐं.....नशे के दानव ने मानवता को शर्मसार किया है । एक मासूम जो स्कूल से घर जा रही थी, उसे कितनी बेदर्दी, पीड़ा के साथ बलात्कार करके मार दिया गया.....क्या प्रदेश इसे भूल गया है ? इसके पीछे भी नशा ही मुख्य कारण रहा था । जिस प्रकार से तोड़-मरोड़ कर उस मासूम की हत्या की गई उसकी बर्बरता ने प्रदेश ही नहीं पूरा देश हिला दिया । शिमला का मासूम युग.........एक नन्हा सा बच्चा...अपने माता-पिता की आंखों का तारा शिमला के ही युवकों द्वारा जिस प्रकार अपहरण कर यातनाऐं दी गई और बाद में जिस प्रकार उसकी निर्मम हत्या की गई ....... उसका आधार यही नशा था । मासूम युग को कई दिनों तक इन नशेड़ियों ने एक सुनसान जगह पर घर पर बांधे रखा और जब अपहरणकर्ता घर से बाहर जाते थे तो उस मासूम को नशा करवाकर पलंग के बाॅक्स में बंद कर देते थे । अंत में इन नशेड़ियों ने उस मासूम को शराब पिला कर पत्थर से बांध एक पौष इलाके के बड़े टैंक में ज़िंदा ही डूबो कर मार दिया । इतना ही नहीं, उस मासूम की गली-सड़ी लाष का पानी उस टैंक से वहां के निवासियों को महीनों तक पिलाया गया । देश में युवा पीढ़ी की एक बड़ी प्रतिषतता आज इतनी गिर चुकी हैं कि नशे में वो घर, परिवार, महिला, बच्चें, समाज और संस्कारों की तिलांजली देकर अपराध में संलिप्त है । बलात्कार, हत्याऐं, आगजनी, टूटते परिवार आदि सभी समस्याओं में नशा भी एक मूल कारण है । वर्तमान संदर्भ में हिमाचल प्रदेश चिट्टा की चपेट में आ चुका है । चिट्टा की लत इंसान को मौत के मुहाने पर ले आती है और फिर उससे बाहर आने के रास्ते बंद हो जाते हैं । इंसान तड़प उठता है इसे पाने के लिए । न मिल पाने की स्थिति में उसके प्राण खतरे में आ जाते हैं । चिट्टा से प्रदेश में कितनी ही मौतें हो चुकी हैं और कितनी ही घटनाऐं दिनोंदिन सुनने में आ रही है । यह एक अति मंहगा नशा है ।
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